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मिठास की कड़वी सच्चाई: क्या आपके बच्चे की डाइट में है ज़रूरत से ज़्यादा चीनी?

  • Writer: contactvijay1995
    contactvijay1995
  • Oct 22
  • 1 min read
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आजकल कई भारतीय घरों में, 'मिठास का सैलाब' चुपचाप हमारे बच्चों की सेहत पर असर डाल रहा है। जहाँ मिठाइयाँ हमारी संस्कृति का एक अटूट हिस्सा हैं, वहीं 'एडेड शुगर' (बाहर से मिलाई गई चीनी) की बढ़ती खपत बचपन में मोटापे, टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारियों जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को जन्म दे रही है। ये चिंताएँ भारत में तेज़ी से बढ़ती जा रही हैं।

अपनी चीनी को पहचानें:यह समझना बहुत ज़रूरी है कि प्राकृतिक चीनी (जो हमें ताज़े फलों और सादे दूध से मिलती है) और 'फ्री शुगर' या 'एडेड शुगर' (बाहर से मिलाई गई चीनी) में क्या फर्क है। असली गुनहगार तो वो चीनी है जो प्रोसेस्ड फूड्स, पैकेट बंद जूस, मीठे ड्रिंक्स और कई बार तो मासूम दिखने वाले स्नैक्स में भी छिपी होती है। यह एडेड शुगर सिर्फ खाली कैलोरी देती है, जिसका सेहत के लिए कोई पोषण लाभ नहीं होता।

बात इतनी गंभीर क्यों है?ज़रूरत से ज़्यादा चीनी सिर्फ वज़न बढ़ने का कारण नहीं बनती; यह हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ सकती है, अंदरूनी अंगों के काम पर बुरा असर डाल सकती है और भविष्य में कई गंभीर बीमारियों जैसे दिल की बीमारियाँ, डायबिटीज की नींव रख सकती है। अब समय आ गया है कि भारतीय माता-पिता इस विषय पर जागरूक हों और अपने बच्चों की डाइट के पीछे की इस 'मीठी सच्चाई' को ठीक से समझें।


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